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मंत्रालय को लिखा पत्र, कहा आवेदकों के साक्ष्य के आधार पर हो बिहार विशेष भूमि सर्वे // LIVE NEWS24

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न्यूज़ डेस्क : शुक्रवार को भागलपुर जिले नारायणपुर प्रखंड अंतर्गत समाजसेवी सह सूचना अधिकार कार्यकर्ता एवं लाईव न्यूज़24 के शिकायत निवारण पदाधिकारी डॉ. सुभाष कुमार विद्यार्थी ने राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्रालय के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह, मंत्री दिलीप जायसवाल एवं भू अभिलेख एवं सर्वेक्षण के निदेशक जय सिंह को ईमेल द्वारा सन 1970 ई. के करीब में हुए भूमि सर्वे की गड़बड़ी से अवगत कराते हुए पत्र के माध्यम से कहा कि बिहार में 1903 ई के करीब सात दशक बाद जमीन का सर्वे किया गया जिसे विभाग के द्वारा रिविजनल सर्वे का नाम दिया गया. इस सर्वे में अधिकारियों की मनमानी या फिर रैयतों की दबंगई के कारण काफी अशुद्धियाँ हुई है जिसे दबे जुबान से विभाग भी मान रही है. गलत सर्वे हो जाने के बाद उसे सही कराने के लिए अनगिनत टाइटिल सूट मुकदमें बिहार के कई न्यायालयों में 30- 30 वर्षों से लम्बित है. इतनी लम्बी अरसे के बाद भी गरीब एवं कमजोर किस्म के रैयतों को उचित न्याय न मिल पाने के कारण उनमें भारतीय न्यायिक व्यवस्था तथा कानून के प्रति असंतोष एवं अविश्वास पनपने लगता है.
वर्त्तमान में पुनः बिहार सरकार नें जमीन सर्वे के लिए व्यापक तैयारी की है. जमीन का विवाद एक ऐसा विवाद है जो कई पुस्तों तक चलते रहती है और पारिवारिक एवं सामाजिक विकास को अवरुद्ध कर देती है. भाईचारे, शान्ति, मित्रता के बजाय मनमुटाव, अशान्ति, दुश्मनी के साथ ही आपसी रंजिश और खून खराबी की स्थिति कायम हो जाती है. इन सब स्थिति से निबटने के लिए वर्त्तमान में होने वाली सर्वे के कार्य को निष्पक्षतापूर्ण सम्पन्न कराने के लिए सरकार एवं विभाग के लिए एक चुनौती है. इसके लिए वर्त्तमान में चल रहे सर्वे कार्य के साथ ही साथ रिविजनल सर्वे में हुई गड़बड़ी को साक्ष्य के आधार पर सुधार करने की प्रक्रिया को भी चलाना पड़ेगा ताकि वर्षों से लम्बित मुकदमें भी समाप्त हो सके और सरकार की तरफ से  आमलोगों में भी एक सकारात्मक और ऐतिहासिक संदेश जा सके.
डॉ. विद्यार्थी ने आगे कहा कि पूर्व दबंगई या छलपूर्वक अपने नाम से सर्वे कराकर बलपूर्वक उसे जमीन से वंचित कर देने जैसी अमानवीय हरकतों पर लगाम लगाने और जमीनी अधिकार को गरीब एवं कमजोर किस्म के रैयतों को फिर से दिलाने के लिए साक्ष्य के आधार पर हुई रिविजनल सर्वे को सही करने की व्यवस्था अवश्य करने की आवश्यकता है. साथ ही इस पत्र पर हुए कारवाई से जनहित में प्रसारित किया जाए ताकि आम लोगों में जागरूकता आये.