दरअसल सभापति जगदीप धनखड़ समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी सुमन द्वारा एनटीए अध्यक्ष की नियुक्ति पर की गई टिप्पणी से नाराज थे। उन्होंने सांसद के अध्यक्ष के आरएसएस से जुड़े होने की टिप्पणी पर नाराजगी जताई। साथ ही उन्होंने कहा कि वह इस टिप्पणी को संसद के रिकॉर्ड पर नहीं आने देंगे। सभापति ने आगे कहा कि आरएसएस की साख बेदाग है। उन्होंने कहा कि वह किसी को भी आरएसएस को अलग-थलग करने की साजिश करने नहीं देंगे।
आरएसएस को देश की यात्रा में भाग लेने का पूरा हक- उपराष्ट्रपति
वहीं विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने जगदीप धनखड़ की इस टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जब तक किसी सांसद ने संसदीय कार्यवाही के नियमों का उल्लंघन नहीं किया है तब तक अध्यक्ष किसी सदस्य पर आपत्ति नहीं जता सकते है। खड़गे के सवाल का जवाब देते हुए सभापति ने कहा, "मैं मानता हूं कि जब कोई उल्लंघन होता है तो मैं बीच में बोल सकता हूं लेकिन यहां सांसद भारत के संविधान के खिलाफ बोल रहे हैं... मैं संगठन को अलग-थलग करने की इजाजत नहीं दूंगा, यह संविधान का उल्लंघन है। आरएसएस को इस देश की विकास यात्रा में भाग लेने का पूरा संवैधानिक अधिकार है।"