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नीतीश कुमार ने नीति आयोग की बैठक से क्यों किया किनारा, NDA को दे दिया ममता बनर्जी से भी बड़ा झटका? // LIVE NEWS24

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न्यूज़ डेस्क : वैसे तो नीति आयोग की बैठक में नीतीश कुमार का नहीं जाना उनके प्रचलन में रहा है. अक्सर वे इस बैठक को इग्नोर करते रहे हैं. पर हर बार बैठक में न जाने का कोई न कोई कारण मीडिया के प्लेटफार्म पर आ जाता था. इस बार उनका नीति आयोग की बैठक में न जाना सवाल बन गया. विपक्ष का सीधा सीधा आरोप है कि विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने से नाराज सीएम नीतीश कुमार ने नीति आयोग की बैठक से खुद को अलग रखा. नीति आयोग की बैठक में सीएम नीतीश कुमार के नहीं जाने के फैसले को राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नीतीश कुमार बैठक में गए बिना ममता बनर्जी की तरह पीएम मोदी और एनडीए को बड़ा झटका दे दिया.

नीति नहीं, भाजपा आयोग की बैठक में नहीं गए नीतीश-आरजेडी
राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने आरोप लगाया कि आखिर किस मुंह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नीति आयोग की बैठक में जाते. लाख मांगने और काफी कोशिश करने के बाद विशेष राज्य का दर्जा मिला तो नहीं ? केंद्र सरकार ने उनकी एक नहीं सुनी. सो इस बार नीति आयोग में जब जाने की बारी आई तो वो जानते थे कि इस बैठक में मिलना-जुलना तो कुछ है नहीं. बेकार में समय क्यों खराब करते नीतीश कुमार.

वर्ष 2023 में भी नीति आयोग की बैठक में नहीं गए
वैसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नई दिल्ली में मई 2023 को आयोजित नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं हुए थे. तब यह कारण सामने आया कि नीति आयोग की बैठक में शामिल होने के पहले ही नीतीश कुमार ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने की बात कह चुके थे. तब विरोध स्वरूप पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की तर्ज पर सीएम नीतीश कुमार ने भी नीति आयोग की बैठक से किनारा किया.

2022 में भी नीति आयोग की बैठक में नीतीश नहीं पहुंचे
अगस्त 2022 में भी आयोजित नीति आयोग की बैठक में सीएम नीतीश कुमार नहीं शामिल हुए थे. लेकिन तब कहा गया था कि इस बार नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कोरोना से उबरे थे और फिलहाल अपनी कमजोरी से वे जूझ रहे हैं. वो चाहते थे कि नीति आयोग की बैठक में उनका प्रतिनिधित्व उपमुख्यमंत्री करें. चूंकि इस बैठक में मुख्यमंत्री ही शामिल हो नहीं सकते हैं. तब इस बात की पुष्टि भी हुई थी। खुद सीएम स्वास्थ्य की वजह से पिछले कुछ हफ्ते से जनता दरबार नहीं लगा रहे थे. इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के लिए पीएम मोदी की ओर से आयोजित रात्रिभोज और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल नहीं हुए थे.

दो उपमुख्यमंत्रियों ने बिहार का किया प्रतिनिधित्व
दूसरी तरफ जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार कहते हैं कि इस बार बिहार के दो उपमुख्यमंत्रियों ने राज्य का प्रतिनिधित्व किया. इसके अलावा चार केंद्रीय मंत्री नीति आयोग के सदस्य पहले से ही हैं. ये सभी लोग बिहार के संदर्भ में बात अच्छी तरह से रखेंगे और बिहार के विकास को ले कर जो प्रस्ताव रखा जाएगा, वह मिलेगा भी.

प्रतीकात्मक विरोध माना जा सकता है : अश्क
वरिष्ठ पत्रकार ओम प्रकाश अश्क कहते हैं कि वैसे तो सीएम नीतीश कुमार का कोई आधिकारिक बयान इस संदर्भ में नहीं आया है.-लेकिन जिस तरह से बिहार विधानमंडल के सत्र में विपक्ष ने विशेष राज्य के दर्जा पर एनडीए की सरकार को घेरने की कोशिश की, इसके जवाब में बचते-बचाते यह कह तो गए कि बजट में मिलना शुरू हुआ है, आगे भी मिलेगा. पर कहीं न कहीं विशेष राज्य के दर्जा नहीं मिलने को लेकर एक कसक तो उनके भीतर रह गई होगी. ऐसे में यह माना जा सकता है कि नीति आयोग की बैठक में न जाना एक प्रतीकात्मक विरोध हो सकता है.