इलेक्ट्रो होम्योपैथी विश्व की पहली चिकित्सा पद्धति है जिसकी सभी औषधियाँ बिल्कुल हर्बल और हानिरहित है. जीवित प्राणियों के शरीर के अंदर मौजूद लिम्फ और ब्लड को प्यूरीफाय कर समस्त रोगों को समूल नष्ट करने की अपार क्षमता रखती है. इस चिकित्सा पद्धति महत्ता को देखते हुए राजस्थान सरकार ने 2018 में ही शासकीय मान्यता दे दी लेकिन बिहार में इस दिशा में अब तक कोई पहल नहीं की जा रही है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है उक्त बातें इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन ऑफ इलेक्ट्रो होम्योपैथी के द्वारा राजस्थान की तरह बिहार में भी इलेक्ट्रो होम्योपैथी को शासकीय मान्यता की माँग को लेकर बिहार के बेगूसराय समाहरणालय परिसर में डॉ. राम उदय शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित एक दिवसीय धरना कार्यक्रम में बोलते हुए इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन ऑफ इलेक्ट्रो होम्योपैथी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सुभाष कुमार विद्यार्थी ने कहा.
इस अवसर पर डॉ. राकेश मोहन ने कहा कि वर्तमान में समाज में अधिकांश व्यक्ति फैटी लिवर का रोगी हो जाता है तो मॉडर्न साइन्स में उसकी अलग अलग दवाई होती है लेकिन इलेक्ट्रो होम्योपैथिक सिद्धांत के अनुसार ऐसी व्यवस्था की जाती है कि लिवर में फैट जमा ही न हो उसका मेटाबोलिज्म किया जाता है जिसके इलेक्ट्रो होम्योपैथी की औषधि की प्रामाणिकता के लिए काफी शासकीय बाधाएँ आ रही है. आम लोगों को इस चिकित्सा पद्धति से सहज और सुलभ ढँग से उपलब्ध हो इसके लिए शासकीय मान्यता आवश्यक है.
इस अवसर पर आई.डी.सी., भारत सरकार के प्रोपजलिस्ट सह आई एम ए ऑफ इलेक्ट्रो होम्योपैथी के राष्ट्रीय महासचिव डॉ एस आर पंडित नें कहा कि राजस्थान की तरह बिहार में सरकार अतिशीघ्र शासकीय मान्यता दे इसके लिए हम चिकित्सकों का धरना अनवरत जारी रहेगा. इस अवसर पर डॉ हरिबोल यादव, डॉ अमित कुमार, डॉ पुष्पराज कुमार, डॉ सुरेंद्र कुमार, डॉ केशर, डॉ धर्मेन्द्र कुमार, डॉ गौरी शंकर पंडित, डॉ महासेन महाराणा, डॉ राजकुमार चौधरी, डॉ उमेश कुमार, डॉ अनिल कुमार, लालन कुमार रंजन, सकलदेव पासवान, निशात अंजुम आदि धरना में उपस्थित होकर बिहार सरकार से जल्द से जल्द इलेक्ट्रो होम्योपैथी को शासकीय मान्यता देने की माँग की. धरना के उपरान्त बेगूसराय जिलाधिकारी रोशन कुशवाहा को राज्यपाल के नाम एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सुभाष कुमार विद्यार्थी एवं प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राम उदय शर्मा के द्वारा ज्ञापन सौपा गया.