इस अवसर इन्दिरा ग्राम कुर्सेला के कबीर पारख मठ के महंत बिनोद साहेब ने कहा कि मनुष्य जीवन में मोक्ष पाने के लिए तीर्थ स्थलों का भ्रमण करते तो हैं लेकिन अपने माता-पिता, बड़े बुजुर्गों एवं गुरुजनों की सेवा नहीं करते जिससे उनका तीर्थाटन सार्थक नहीं होता है।
सद्गुरु कबीर ने साफ शब्दों में कहा कि- पानी में मीन प्यासी मोहे सुन सुन आवे हाँसी, आत्म ज्ञान बिना नर भटके कभी मथुरा कभी काशी
संत दीपनारायण साहेब ने कहा कि कबीर साहेब के दर्शन के अनुसार न कोई हिन्दू है न कोई मुसलमान सभी कोई मानव हैं।
आपस में प्रेम भाव से रहना चाहिए जिससे सबों का कल्याण हो। संत शिवपूजन साहेब ने कहा कि सबों को सत्य का संग करना चाहिए, किसी भी तरह की नशीली चीजों का सेवन स्वास्थ्य हित में नहीं करनी चाहिए। इस अवसर पर गामा साहेब, रामदयाल दास, विद्यानंद साहेब, रीता दासिन, सुशीला दासिन, साबो दासिन, सुरेश साहेब, पवन, रतन, संतोड़, चंदन आदि संत महात्माओं के द्वारा कबीर साहब की साखी, भजन एवं जीवनोपयोगी प्रेरणादायक प्रवचनों से उपस्थित श्रद्धालुओं को सत्कर्म करने को कहा।