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न्यूज़ डेस्क : टी बी एक बैक्टीरिया जनित रोग है जो शरीर के महत्वपूर्ण अंग फेफड़े को प्रभावित करती है उक्त बातें अंतर्राष्ट्रीय टी बी दिवस के अवसर पर मैटी इलेक्ट्रो होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज नारायणपुर के गंगाघाट स्थित कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए संस्थान के निदेशक डॉ सुभाष कुमार विद्यार्थी नें कहा। इन्होंने कहा कि इस बीमारी की शुरुआत में खाँसी के साथ बुखार आती है जो दो सप्ताह से ज्यादा हो जाने पर फेफड़े को ज्यादा संक्रमित कर उसमें क्षय होने लगता है जो काफी ही कष्टप्रद होता है। सर्वप्रथम इस बीमारी के होने के कारण का पता वैज्ञानिक सर रॉबर्ट कोच नें लगाया जिन्हें 1905 ई में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। एम ई एच मेडिकल कौंसिल दिल्ली के उप निबंधक डॉ रजनीश झा ने कहा कि टी बी को राजरोग कहा गया है जो पहले असाध्य रोग की श्रेणी में था लेकिन अब इसका समुचित इलाज संभव है। इलेक्ट्रो होम्योपैथी जो कि विशुद्ध वानस्पतिक चिकित्सा है इसमें इसका समुचित निदान है। साथ ही दैनिक दिनचर्या में सुधार, संतुलित आहार, संयमित विहार आदि को अपनाने की भी आवश्यकता है। समाजसेवी अर्जुन मंडल ने कहा कि वर्तमान समय में टी बी उतना कठिन बीमारी नहीं है इसके प्रति लोगों को जागरूक होने की आवश्यकता है। इस अवसर पर डॉ सुधांशु , डॉ श्रवण कुमार , डॉ रमेश आदि नें भी अपना विचार रखा।