आज का मेरा आलेख हज के उद्देश्य से पैदल यात्रा। आईए जानते हैं कि इस्लाम धर्म इसके बारे में क्या कहता है?
. 🕋 हज के उद्देश्य से पैदल यात्रा 🕋
इस्लाम धर्म के पांच मूल स्तंभ में से हज भी एक स्तंभ है, जो
केवल आर्थिक रूप से योग्य एवं समृद्ध व्यक्ति पर अनिवार्य है । अर्थात् जो तीर्थयात्रा /हाज यात्रा का खर्च उठा सके, अन्यथा अनिवार्य नहीं है।
अतः हज उन्हीं का स्वीकार्य होगा जो हज के सभी नियमों एवं शर्तों का पालन करे।
मित्रों। आज हम यहां चर्चा करेंगे कि "क्या स्वयं को कष्ट, दुख और जोखिम में डाल कर हज यात्रा कर सकते हैं या नहीं? हालांकि यात्रा के सभी साधन उपलब्ध है?
मित्रों! यदि हम पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जीवनी पढेंगे तथा उनकी शिक्षा का अध्ययन करेंगे तो ज्ञात होगा कि इस प्रकार के कई घटनाएं उस समय घटीं, जिस से पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने रोका और मना कि इस तरह का कोई कार्य स्वीकार्य नहीं है जिसे व्यक्ति स्वयं अपने पर अनिवार्य करे।
जैसा कि पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के युग के दौरान, कुछ साथियों (पुरुष /महिला ) पैदल चलकर हज करने की कसम खाई थी। जब पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को ज्ञात हुआ तो अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उन्हें पैदल यात्रा करने से मना किया और उन्हें सवारी करने का आदेश दिया।
* निम्न में कुछ हदीस का उल्लेख करने का प्रयास किया है जिस से बातें स्पष्ट हो जाएगी:-
1- एक महिला ने पैदल हज यात्रा करने की प्रतिज्ञा की, तो नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से इस संबंध में पूछा गया तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि अल्लाह को उस की पैदल यात्रा की कोई आवश्यकता नहीं है। उसे कहो कि वह सवार होकर जाए। (सह़ीह़ त्रिमिज़ी/1536)
2- नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम एक बूढ़े व्यक्ति के निकट से गुज़रे जो अपने दो पुत्रों की सहायता से चल कर हज के जा रहे थे। नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि इस व्यक्ति को क्या हुआ है? कहा कि इन्होंने पैदल हजयात्रा करने की प्रतिज्ञा की है। तो नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि इस के स्वंय को कष्ट देने वाला कार्य की अल्लाह को आवश्यकता नहीं है। उन्हें कहो कि वह सवार होकर जाएं। (सह़ीह़ त्रिमिज़ी /1537)
3- नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को अवगत कराया गया कि मेरी बहन पैदल हजयात्रा करने की प्रतिज्ञा ली है तो नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि उस के इस अमल कार्य से अल्लाह को कोई लेना-देना नहीं है। (सह़ीह़ अबुदाऊद/3304)
उपरोक्त हदीसों से ज्ञात होता है कि :
1- यात्रा के सभी प्रकार के साधन तथा सुविधाएं उपलब्ध होते हुए पैदल हजयात्रा के लिए नहीं जाना चाहिए। यदि कोई ऐसा करता है तो नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के आदेश एवं दिशानिर्देश का उल्लंघन करता है।
2- पैदल हजयात्रा करना तथा इसे पुन्य समझना गलत है। अर्थात् उस की इस सोच की कोई महत्व नहीं है और न ही अल्लाह स्वीकार करेगा।
3- यातायात के साधन तथा अन्य सुविधाएं उपलब्ध होते हुए पैदल यात्रा एवं शरीर को पीड़ा, कष्ट और तकलीफ़ देना इस्लाम में कोई मायने नहीं रखता। अपितु इस जैसे कार्यों से रोकता है।
4- यदि कोई पैदल हजयात्रा ज़्यादा पुन्य के के इरादे एवं उद्देश्य से करता है अथवा प्रसिद्ध होने के लिए तो हज नहीं होगा अपितु स्वयं गुनहगार होगा।
मित्रों! ऊपर उल्लेख किये गये बातों से निष्कर्ष निकलता है कि यात्रा के साधन और सुविधाएं होते हुए एक मुसलमान के लिए जायज़ नहीं कि वह पैदल हजयात्रा करे।
अल्लाह हमें इस्लामी संस्कृति और शिक्षा के अनुसार अपना जीवन तथा अन्य कार्य करने की क्षमता प्रदान करे। आमीन।
नोट : यदि उपरोक्त विश्लेषण में कोई त्रुटि हों तो अवश्य अवगत कराने की कृपा करेंगे।
धन्यवाद
मो0 मुरसलीन अल-हिंदी
23/07/2022