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अनंत सिंह का सियासी सफर: दल हो या निर्दल, मोकामा से चुनाव जीतते रहे अनंत // LIVE NEWS24

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न्यूज डेक्स : बिहार में बाहुबली विधायक अनंत सिंह का 42 साल का सियासी सफर एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा मंगलवार को दिए गए सजा के आदेश के बाद थम गया। वर्ष 1980 में बिहार ने पहली बार अनंत सिंह का नाम सुना था, तब उन्होंने मोकामा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार श्याम सुंदर सिंह धीरज के चुनाव जीतने में बड़ी भूमिका निभायी थी। दरअसल, उस समय कम्युनिस्ट नेता शिवशंकर शर्मा कांग्रेस उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव मैदान में थे। मोकामा टाल इलाके के युवा नेता एवं अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह शिवशंकर शर्मा का साथ दे रहे थे। हालांकि शिवशंकर शर्मा दिलीप सिंह की दबंग छवि के कारण उनका साथ नहीं लेना चाहते थे। तब, श्याम सुंदर सिंह धीरज ने दिलीप सिंह की ओर हाथ बढ़ाया। ऐसा माना जाता है कि धीरज की जीत में दिलीप सिंह का बड़ा हाथ था और दिलीप सिंह ने अपने छोटे भाई अनंत सिंह के साथ मिलकर मोकामा टाल के इलाके में कांग्रेस के पक्ष में वोटों की गोलबंदी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी।

इसके ठीक पांच साल बाद मोकामा का सियासी समीकरण बदल गया। इस बार श्याम सुंदर सिंह धीरज व शिवशंकर शर्मा के मुकाबले में दिलीप सिंह सामने आ गए। इस बार भी श्याम सुंदर सिंह धीरज कम मार्जिन से ही लेकिन चुनाव जीतने में सफल रहे। तब दिलीप सिंह ने धीरज पर सरकारी मिशनरी के दुरूपयोग करने का आरोप लगाया लेकिन दूसरी ओर अनंत सिंह मोकामा टाल क्षेत्र में तेजी से चर्चा में आ गए। तबतक उन पर कई संगीन आरोप भी लग चुके थे। 1990 एवं 1995 में दिलीप सिंह ने लालू प्रसाद के नेतृत्व वाली जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और धीरज को चुनाव मैदान में हराया। इस बीच अनंत सिंह छोटे सरकार के रुप में मोकामा क्षेत्र में लोकप्रिय होते चले गए। हालांकि, 2000 के चुनाव में अनंत सिंह का साथ होने के बावजूद दिलीप सिंह चुनाव हार गए और मुकाबले में उतरे बाहुबली सूरजभान सिंह को जीत हासिल हुई।

सजा पानेवाले नेताओं की फेहरिस्त में अनंत पहले नहीं
सांसद-विधायक बनने के बाद सजायाफ्ता होनेवाले नेताओं की फेहरिस्त में अनंत सिंह का नाम कोई पहला नहीं है। बिहार में पूर्व मुख्यमंत्री से लेकर पूर्व मंत्री तक सजायाफ्ता होने के चलते चुनावी राजनीति से दूर हो गए हैं। इस कड़ी में सबसे बड़ा नाम लालू प्रसाद यादव का है। बिहार के मुख्यमंत्री और केन्द्रीय मंत्री रहे लालू प्रसाद चारा घोटाले में सजा होने के चलते चुनाव नहीं लड़ पा रहे।

सजा के चलते नहीं लड़ सकते चुनाव
चारा घोटाले में ही पूर्व सांसद और पूर्व विधायक जगदीश शर्मा को भी सजा मिल चुकी है। पूर्व मंत्री इलियास हुसैन अलकतरा घोटाले के एक मामले में दोषी करार दिए गए थे। पूर्व सांसद आनंद मोहन को गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड में उम्रकैद की सजा हुई। वह अभी भी जेल में हैं। पूर्व सांसद सूरजभान सिंह, प्रभुनाथ सिंह के अलावा विधायक रहे राजबल्लभ यादव और राजेन्द्र यादव को भी अदालत द्वारा सजा सुनाई गई है। सजायाफ्ता होने के चलते ये चुनाव नहीं लड़ सकते। पूर्व सांसद शाहाबुद्दीन को भी कई आपराधिक घटनाओं में सजा हुई थी जिसके चलते वह चुनाव नहीं लड़ पाए। तिहाड़ जेल में कैद के दौरान पिछले वर्ष कोरोना से उनकी मृत्यु हो गई थी।

सजा हुई पर बाद में बरी हो गए

पूर्व सांसद पप्पू यादव, पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला और राजन तिवारी भी हत्या के मामले में नीचली अदालत द्वारा दोषी करार दिए गए गए थे। पर बाद में उपरी आदालत द्वारा इन्हें बरी कर दिया गया। इसी कड़ी में पूर्व सांसद व विधायक रामा सिंह का भी नाम शामिल है। अपहरण के मामले में सजा हई थी पर बाद में अदालत द्वारा दोषमुक्त कर दिया गया।