दरअसल, ओडिशा स्थित भुवनेश्वर के रमा देवी वुमन्स कॉलेज से ग्रेजुएशन करने वालीं मुर्मू ने अपनी करियर की शुरुआत सभासद पद से की थी। ओडिशा के रायरंगपुर जिले की नगर पंचायत में वो पहली सभासद चुनी गई थीं। इसके बाद मयूरभंज विधानसभा सीट से दो बार (2000, 2009) विधायक चुनी गईं। इसके साथ ही ओडिशा में बीजेपी और बीजेडी की गठबंधन वाली सरकार में मुर्मू मंत्री भी रह चुकी हैं।
द्रौपदी मुर्मू के राजनीतिक जीवन का एक बड़ा पड़ाव उस समय आया जब साल 2015 में उन्हें झारखंड का गवर्नर बनाया गया था। हालांकि मुर्मू का निजी जीवन बेहद उतार चढ़ाव वाला रहा। द्रौपदी मुर्मू संथाली आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। उनकी शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई थी। श्याम चरण मुर्मू और द्रौपदी मुर्मू को तीन संतानें हुईं। इनमें दो बेटे और एक बेटी हुए लेकिन मुर्मू के पति और दोनों बेटों की मृत्यु हो चुकी है। अभी परिवार में मुर्मू की एक बेटी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2009 में मुर्मू के दूसरे बेटे की रहस्यमयी मौत की खबर सामने आई थी जब उनके 25 वर्षीय बेटे लक्ष्मण मुर्मू अपने बिस्तर पर बेहोशी के हालात में मिले थे जिसके बाद उन्हें आनन-फानन में प्राइवेट अस्पताल पहुंचाया गया था। बाद में उन्हें राजधानी भुवनेश्वर के एक अस्पताल में ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था।
एक अन्य मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016 में मुर्मू ने रांची के कश्यप मेडिकल कॉलेज द्वारा आयोजित किए गए रन ऑफ विजन प्रोग्राम में अपनी आंखें दान करने की घोषणा भी की थी। सामाजिक कार्यों से जीवनभर जुड़ी रहीं मुर्मू को साल 2007 में ओडिशा विधानसभा द्वारा उत्कृष्ट विधायक का नीलकंठ पुरस्कार भी दिया गया था। फिलहाल अब वे पूरे देश में राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने की वजह से चर्चा में हैं।