इन्होंने कहा कि वर्तमान समय में लोगों के खान - पान में अनियमितता, असंयमित जीवन शैली, भौतिकवादी व्यवस्था आदि के कारण कई तरह के नित्य नई बीमारी आती रहती है और लोग बदले में कई तरह की औषधियों का प्रयोग कर उन्हें छुड़ाने की बजाय दबाने का प्रयास करते हैं। इस तरह करने से बीमारी जटिल और घातक बन जाती है। इस स्थिति से निजात दिलाने में अकेले योग प्राणायाम का अभ्यास काफी है बशर्ते कि इसे नियमित रूप से दैनिक क्रिया कलाप का एक हिस्सा बना लिया जाय।
डॉ विद्यार्थी नें प्रसन्नता जाहिर किया कि जिस योग की खोज हमारे देश के ऋषि मुनियों ने किया आज इसका प्रसार पूरे विश्व में हो गया और पूरे विश्व के लोग जाति - पाति के भेद - भाव को भूलकर इससे स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। 21 जून को आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के कार्यक्रम में अपने नजदीकी स्थल पर शामिल होने की अपील के साथ नियमित योगाभ्यास करने का अनुरोध किया। इस वेबीनार में खगड़िया से डॉ हरिबोल यादव, सहरसा से डॉ ए. के. साह, डॉ सुधांशु कुमार, डॉ पुष्पराज कुमार , डॉ शिवराज कुमार, डॉ रजनीकान्त देव, पूर्णिया से डॉ राजेश कुमार, झारखंड से डॉ जे मंडल, भागलपुर से डॉ चन्द्र शेखर मंडल, डॉ उदय शंकर आदि नें भाग लेकर योग को नियमित रूप से जीवन में अपनाने पर बल दिया।