
संवाददाता : सम्भू सेन (सरायकेला)
ईचागढ़- बसंत ऋतु के आगमन के साथ प्रकृति मानों दुल्हन की तरह सज जाती है । नये नये पत्तीयों व फुलों से डाली भर आई है , भौंरे गुनगुना रहे हैं । चिङियों का चहचहाहट चारों ओर गुंजायमान है । हर किसी के मन मे खुशी की लहर साफ दिखाई देने लगा है ,ऐसे समय मे आदिवासी समाज द्वारा प्राकृतिक पुजा का आयोजन किया जा रहा है । इसी कङी मे ईचागढ़ प्रखंड क्षेत्र के लाल हाट मैदान झारूआ में सरहुल मिलन समारोह का आयोजन किया गया । सरहुल मिलन समारोह का मुखिया भीष्मदेव महतो, मुखिया प्रतिनिधि अभिराम हेम्बरम ने संयुक्त रूप से फीता काट कर किया । सारना समिति झारूआ कुईडीह द्वारा सामुहिक रूप से सरहुल का पुजा सखुआ डाली गाङकर व कानों मे सखुआ फुल लेकर किया गया । पुजा के बाद प्रसाद वितरण किया गया । सरहुल मिलन समारोह में रांची जिला के तमाङ प्रखंड के बिजयगीरी के आदिवासी संस्कृति कला मंच द्वारा पारंपरिक वेशभूषा में सरहुल नृत्य प्रस्तुत किया गया । सरहुल नृत्य दल के नृत्य प्रस्तुति से दर्शक गदगद हुए । भगवान विरसा मुंडा , शिकारी आदि पाला का नृत्य प्रस्तुत किया गया । वहीं मुख्य रूप से देबेन बेसरा , लाल सिंह मुण्डा आदि ने भी सरहुल पुजा मे माथा टेककर क्षेत्र की खुशहाली का कामना किया । उपस्थित भीड़ ने नृत्य का जमकर लुत्फ उठाया । वहीं मुखिया भीष्मदेव महतो ने कहा कि सरहुल हम आदिवासीयों का महत्वपूर्ण पुजा है । हम सखुआ पत्ता, फुल आदि से पुजा करते है और यह पुर्ण रूप से प्राकृतिक पुजा है । मौके पर दुबराज माझी, बुद्धेश्वर सिंह मुण्डा,राम प्रसाद उरांव,फुलचांद सिंह मुण्डा,परेश हांसदा, सोनु, मनमोहन सिंह मुण्डा सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे ।
